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नगर पालिका पत्थलगांव के प्लेसमेंट ठेका विवाद की गूंज अब सुनाई देगी सुप्रीम कोर्ट में :—

मयंक रोहिला

मयंक रोहिला/पत्थलगांव । नगर पालिका पत्थलगांव के प्लेसमेंट (श्रमिक प्रदाय) ठेका विवाद पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है। मामले ने उस समय तूल पकड़ा था जब न्यूनतम दर पर निविदा प्राप्त होने के बाद ठेकेदार अमित कुमार अग्रवाल का ठेका नगर पालिका ने निरस्त कर दिया था।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि याचिकाकर्ता को शुरू में ‘एल-1’ घोषित किया गया था और उसकी बोली स्वीकृति हेतु भेजी गई थी। इसके बावजूद नगर पालिका ने बिना ठोस कारण दर्ज किए और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना निविदा निरस्त कर दी। जिससे पूरी प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता प्रतीत नहीं होती है,कोर्ट ने कहा कि केवल मौखिक आपत्तियों पर विचार करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है और इस तरह की कार्रवाई मनमानी का संकेत देती है।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि निविदा मामलों में न्यायिक समीक्षा की सीमा सीमित है और अदालत निविदा प्राधिकारी के निर्णय पर अपील की तरह कार्य नहीं कर सकती। वर्तमान परिस्थिति में, जब निविदा दो बार रद्द की जा चुकी है और नई निविदा प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, पिछली निविदा को पुनर्जीवित करना संभव नहीं है।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता नई निविदा प्रक्रिया में भाग लेने और समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्वतंत्र है। साथ ही भविष्य की निविदा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, निष्पक्षता और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करने के आदेश भी दिए गए।
याचिकाकर्ता का कथन –
माननीय उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में मेरे द्वारा लगाए गए आरोपों को सही ठहराते हुए अपने आदेश में स्पष्ट लेख किया है कि निविदा प्रक्रिया में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता नहीं रखी गई । नियम एवं न्याय के सिद्धांतों के विपरीत कृत्य किया गया तथा मनमानी की गई है। न्यायालय द्वारा प्रतिवादी को निर्देशित किया गया है कि भविष्य में इस तरह का कृत्य न किया जाए।
मैं माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए मेरे द्वारा मांग की गई राहत अनुतोष के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाऊंगा।

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